जनसंख्या शिक्षा’ का प्रत्यय नवीन है जिसका सम्बन्ध जनसंख्या के आकार,वृद्धि अथवा ह्नास,संरचना, लैंगिक अनुपात तथा वैवाहिक आयु आदि के ज्ञान से है। इसी जनसंख्या शिक्षा के अन्तर्गत जनसंख्या की वृद्धि और ह्नास के कारणों, उनके सामाजिकर्, आर्थिक, राजनीतिक एवं पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों की जानकारी भी सन्निहित है। वस्तुतः जनसंख्या शिक्षा कुटुम्ब को छोटा या बड़ा रखने का परामर्श देने वाली शिक्षा से भिन्न है। जनसंख्या शिक्षा का सम्बन्ध सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक उत्थान से है तथा जनसंख्या नीतियों और कार्यक्रमों का राष्ट्र के विकास कार्यक्रमों से सम्बन्ध्ति होना आवश्यक है। इस दृष्टि से जनसंख्या-शिक्षा जीवन स्तर को उच्च बनाने तथा सु खी जीवन की सम्भावनाओं की वृद्धि करने वाली शिक्षा है। राष्ट्र की प्रगति में जनसंख्या तथा उपलब्ध प्राकृतिक एवं भौतिक संसाधनों का क्या सम्बन्ध है, वे किस तरह एक दूसरे को प्रभावित करती हैं, इसका अध्ययन करना तथा सुझाव देना है। प्रस्तुत शोध कार्य स्नातक स्तर के कला तथा विज्ञान वर्ग के छात्रा-छात्राओं तथा स्नातक स्तर के शिक्षकों पर आधरित है। यह कार्य जनसंख्या वृद्धि के ज्ञान तथा जनसंख्या शिक्षा की संचेतना सम्बन्ध्ति परीक्षण के आधर पर किया गया है। जनसंख्या शिक्षा वह शैक्षिक कार्यक्रम है जो परिवार, समुदाय, राष्ट्र और विश्व के संदर्भ में जनसंख्या की स्थिति का शोध करने के लिए, विद्यार्थियों में उचित, तार्किक और दायित्त्वपूर्ण दृष्टिकोण तथा परिवेश का सामना करने के लिए यथोचित व्यावहारिक गुणों का विकास करता है। वर्तमान समय में स्नातक स्तर के विद्यार्थी तथा शिक्षक जनसंख्या वृद्धि तथा उससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं के प्रति कितना जागरूक हैं? इसी का शोध प्रस्तुत शोध कार् ...