पुरातात्विक साहित्यिक शोधों कि विपुलता ने इतने नये तथ्य प्रस्तुत किए हैं कि भारतवर्ष के समग्र इतिहास से पनरालेखन की आवश्यकता प्रतीत होने लगी है। बुंदेलखंड' का इतिहास भी इसी प्रकार नयी शोधों के संदर्भ में आलेखन की अपेक्षा रखता है। बुंदेलखंड 'शब्द मध्यकाल से पहले इस नाम से प्रयोग में नहीं आया है। इसके विविध नाम और उनके उपयोग आधुनिक युग में ही हुए हैं। बीसवीं शती के प्रारंभिक दशक में रायबहादुर महाराजसिंह ने बुंदेलखंड का इतिहास लिखा था। इसमे बुंदेलखंड के अन्तर्गत आने वाली जागीरों और उनके शासकों के नामों की गणना मुख्य थी। दीवान प्रतिपाल सिंह ने तथा पन्ना दरबार के प्रसिद्ध कवि कृष्ण' ने अपने स्रोतों से बुंदेलखंड के इतिहास लिखे परन्तु वे विद्वान भी सामाजिक सांस्कृतिक चेतनाओं के प्रति उदासीन रहे।