योग में मंत्र साधना का विशेष महत्वपूर्ण स्थान है मंत्र साधना को योग साधना में सबसे सुगम एवं सरल बताते हुए, समस्त योगी ऋषि-मुनि मंत्र साधना के अस्तित्व को स्वीकार किया है। हिन्दू श्रुति ग्रंथों शास्त्रों की कविता को पारंमरिक रूप में मंत्र कहा गया है। मंत्र शब्द “मन” तथा “त्र” के युग्म से बना है। यहाँ “त्र” का अर्थ विचारों से मुक्ति से है। मंत्र का शाब्दिक अर्थ विचार या चिंतन है।