उतर-दक्षिण विवाद (विकसित और अल्पविकसित) एक अध्ययन | Original Article
विकसित और अल्पविकसित देशों, जिन्हें क्रमशः उतर और दक्षिण के देशों के नाम से अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में परिभाषित करते हैं, में गहरा वैचारिक मतभेद तथा विकास की दिशा में चैड़ी खाई विद्यमान है। ई. फ्रोलोव के शब्दों में “जिस काल में विकसित पूँजीवादी देशों के अन्दर प्रचुर, सुलभ तथा आर्थिक दृष्टि से लाभकर प्राकृतिक भण्डारों का निःशेषीकरण हो रहा है उस काल में विभिन्न देशों के बीच प्राकृतिक संसाधनों के विषम वितरण के कारण खतरनाक अन्तर्राष्ट्रीय झगड़े हो सकते हैं। सम्पूर्ण मानव जाति के लिए महत्वपूर्ण संसाधनों के तथा विकासमान देशों के राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्रों के अन्दर की सम्पदा, दोनों ही के उपयोग को लेकर औद्योगिक पूँजीवादी देशों तथा समस्त देशों के बीच लोकतांत्रिक आधार पर सम्बन्धों के विकास से टाला जा सकता है।”