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यशपाल की कहानियों में स्त्री-पुरुष संबंधों | Original Article

Bhawna Dahiya*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

स्त्री-पुरुष संबंध सामाजिक संगठन की रीढ़ हैं। यशपाल की कहानियों में प्रेम तथा काम-संबंधों को लेकर बहुत कुछ लिखा गया है। माक्र्सवाद राजनैतिक विचारधारा के मुख्य स्वर के साथ-साथ यशपाल की कहानियों में प्रेम, काम, विवाह तथा नारी की स्थिति विषयक चिन्तन की प्रमुखता से मिलता है। प्रेम को यशपाल पूर्णतया शारीरिक भौतिक प्रक्रिया स्वीकार करते हैं। शारीरिक सम्पर्क से कामेन्द्रियों प्रभावित होती हैं, उनसे ज्ञानेन्द्रियां और ज्ञानेन्द्रियों से मन अथवा हृदय प्रभावित होता है। जब हम प्रेम को हार्दिक अथवा मानसिक प्रक्रिया स्वीकार करते हैं तो भी हम उसके भौतिक अस्तित्व को स्वीकृति देते हैं, --प्रेम की शक्ति जीवन में तृप्ति की चाह है और कामना उसका रूप है। यह प्रेम और जीवन की गति है।’’1