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दलित महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति और सशक्तिकरण पर एक अध्ययन | Original Article

Neha Maurya*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

लैंगिक असमानता का मुद्दा अधिक चिंतित है। यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि यह मुद्दा मुख्य रूप से महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण से संबंधित है। हमारी सामाजिक व्यवस्था में महिलाओं की स्थिति निम्न है और सामाजिक पदानुक्रम के कारण दलित महिलाओं की स्थिति तुलनात्मक रूप से बहुत कम है, आठ तरीके हैं यानी संसाधनों तक पहुंच, आय पर नियंत्रण आदि जिससे दलित महिलाओं को मजबूत स्थिति में लाया जा सकता है। इसी तरह, सशक्तिकरण के मुद्दों की समझ और बाद की रणनीतियों के गठन से दलित महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का उत्थान हो सकता है। भारत में महिलाओं की स्थिति पिछले सहस्राब्दियों में कई महान परिवर्तनों के अधीन रही है। भारत में महिलाएं पुरुषों की तुलना में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से कमजोर हैं। अधिकांश दलित महिलाएं स्वच्छता के काम में लगी हुई हैं। साथ ही, एक सफाई कर्मचारी का जीवन अस्वस्थ परिस्थितियों से ग्रस्त होता है। सशक्तिकरण के मुद्दों की समझ और बाद की रणनीतियों के गठन से दलित महिलाओं की स्थिति का उत्थान हो सकता है।